PCOS क्या है?

PCOS क्या है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अर्थात बहुगंठिय अंडाशय रोग आजकल महिलाओं में अक्सर पाया जाता है। यह रोग एक हॉरमोनल रोग है जो महिलाओं में प्रजनन आयु के दौरान शुरू हो सकता है। इसे आमतौर पर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अर्थात PCOS के नाम से जाना जाता है। यह एक महिलाओं में हॉरमोनल रोग है जहा उनके अंडाशय में गांठ सृष्टि होते है। इसके कारण महिलाए अनियमित माहवारी अर्थात मासिक अनुभव करते है। PCOS के कारण शरीर में हॉरमोनल असंतुलन भी पैदा होता है जिसके कारण महिलाए अनेक विभिन्न समस्याएं भी अनुभव करते है।

अक्सर लोगों को PCOS और PCOD के अंतर में गलतफहमी होती है। PCOS का पूरा अर्थ है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और PCOD का अर्थ है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज। दोनों के शब्दावली के समानता होने के बावजूद इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर है।

PCOS के कारण

PCOS और PCOD में अंतर समझने के पहले हमें PCOS को विस्तार में जानने की आवश्यकता है।

हार्मोनल असंतुलन और अंडाशय में गांठ

PCOS होने की वजह है हॉरमोनल असंतुलन जिसके कारण महिलाओं के अंडाशय में निम्न प्रकार के अनेक गांठ (अर्थात सिस्ट) निर्माण होते है। इसका मूल कारण है शरीर में एंड्रोजन हॉरमोन की मात्रा अधिक होना। हॉरमोनल असंतुलन के दौरान एंड्रोजन हॉरमोन की मात्रा अधिक होना बहुत आम घटना है। इस असंतुलन से एक बड़ी समस्या पैदा होती है जिस कारण PCOS एक अधिक चिंताजनक रोग माना जाता है। यह है PCOS का ओवुलेशन पर प्रभाव। यह विषय इतना कठोर है कि कुछ महिलाए PCOS के कारण गर्भ धारण नहीं कर पाते है।

इंसुलिन प्रतिरोध और वजन बढ़ना

इंसुलिन प्रतिरोध PCOS के एक महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहतीं, तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वजन बढ़ने और मधुमेह (अर्थात डायबिटीज़) जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस कारण भी अनेक महिलाए PCOS का शिकार बनते है। हॉरमोनल असंतुलन के अलावा अस्वस्थ जीवन शैली और शारीरिक वज़न बढ़ने के कारण भी PCOS का निर्माण हो सकता है। यह सब समस्याएं एक aसाथ होने के कारण भी शरीर में PCOS का निर्माण हो सकता है।

जीवनशैली और आनुवंशिक प्रभाव

अनुचित आहार, व्यायाम की कमी और तनावपूर्ण जीवनशैली भी PCOS को बढ़ावा दे सकती है। साथ ही, यदि परिवार में किसी को PCOS रहा हो, तो इसके आनुवंशिक रूप से आगे बढ़ने की संभावना रहती है। उदाहरण के लिए मानिए कोई महिला कि मातृ पक्ष में PCOS का इतिहास रहा हो तो, उस महिला के खुद भी PCOS होने कि संभावना बढ़ जाति है। इसके अलावा अगर कोई महिला अस्वस्थकर जीवन शैली का पालन कर रही हो तो उसके PCOS होने कि संभावना भी अधिक बढ़ सकती है। क्योंकि PCOS और गर्भावस्था काफी बारीकी से संबंधित है, महिलाओं को सबसे पहले अपनी जीवन शैली का सुधार करना चाहिए।

PCOS के लक्षण

अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल बदलाव

PCOS का सबसे सामान्य लक्षण है अनियमित माहवारी (मासिक अर्थात पीरियड्स)। हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाशय नियमित रूप से अंडाणु नहीं छोड़ता, जिससे मासिक धर्म देरी से या अत्यधिक खून की प्रवाह के साथ हो सकता है। इससे गर्भाशय में बहुत दर्द हो सकता है और महिलाओं के दैनिक जीवन में असुविधा हो सकती है। इसके अतिरिक्त, जब माहवारी अनियमित रूप से होती है तब महिलाओं के बर्ताव में अधिक हॉरमोनल बदलाव देखा जा सकता है। इन सब के कारण भी महिलाओं के दैनिक जीवन में अनेक समस्याएं प्रकट हो सकती है।

वजन बढ़ना, मुंहासे और बाल झड़ना

PCOS से पीड़ित महिलाओं में वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, एंड्रोजन हार्मोन की अधिकता के कारण चेहरे पर मुंहासे, अनचाहे बालों की वृद्धि और बाल झड़ने की समस्या देखी जा सकती है। यह लक्षण आम तौर पर PCOS से पीड़ित महिलाओं में प्रजनन आयु के दौरान देखी जाती है। कुछ महिलाए इनको मामूली त्वचा संबंधित समस्या मानकर अनदेखा कर देते है। लेकिन यही लक्षण का समय पर इलाज न करने पर यह PCOS को अधिक बढ़ावा देती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन लक्षणों का प्रतिरोध हॉरमोनल दवाइयां और घरेलू उपाय से किया जा सकता है?

ओवुलेशन में समस्या और गर्भधारण में कठिनाई

PCOS के कारण महिलाओं में ओवुलेशन प्रभावित हो सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। इस स्थिति में अंडाशय नियमित रूप से अंडाणु का उत्पादन नहीं कर पाते, जिससे माहवारी अनियमित हो जाता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाणु का पूर्ण रूप से विकसित न हो पाना या गांठ का बनना सामान्य समस्या होती है। यह स्थिति बांझपन का एक प्रमुख कारण बन सकती है। उचित डाइट प्लान, योग और एक्सरसाइज तथा चिकित्सकीय परामर्श से ओवुलेशन को सुधारकर गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है।

PCOS का निदान कैसे होता है?

ब्लड टेस्ट और हार्मोनल विश्लेषण

PCOS के निदान के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के ब्लड टेस्ट करवाते हैं, जिनमें हॉर्मोनल असंतुलन की जाँच की जाती है। इन परीक्षणों में मुख्य रूप से एंड्रोजन हार्मोन, इंसुलिन और अन्य आवश्यक हार्मोनों का स्तर मापा जाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस की पहचान के लिए भी विशेष परीक्षण किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अनियमित माहवारी और अन्य PCOS के लक्षण, जैसे मुंहासे, वजन बढ़ना आदि के आधार पर भी डॉक्टर निदान करने में सहायता लेते हैं।

अल्ट्रासाउंड से अंडाशय में गांठ का पता लगाना

PCOS के निदान के लिए अल्ट्रासाउंड एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिससे अंडाशय की संरचना की जाँच की जाती है। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर यह देखते हैं कि अंडाशय में गाठें (सिस्ट) हैं या नहीं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह भी पता लगाया जाता है कि अंडाशय का आकार सामान्य से बड़ा तो नहीं है। जिन महिलाओं को अनियमित माहवारी होती है, उनमें अक्सर अंडाणु विकसित नहीं हो पाते, जिससे बांझपन की संभावना बढ़ जाती है। PCOS से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) में कठिनाई हो सकती है, इसलिए समय पर निदान और उपचार आवश्यक है।

PCOS का इलाज

जीवनशैली में बदलाव – एक्सरसाइज और डाइट

PCOS के प्रबंधन में स्वस्थ जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नियमित योग और व्यायाम करने से वजन नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में सहायता मिलती है। आहार योजना में फाइबर और प्रोटीन युक्त खाना को शामिल करना आवश्यक है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस कम किया जा सके। शर्करा और प्रोसेस्ड खाना से बचना लाभदायक होता है। PCOS के लक्षण, जैसे अनियमित माहवारी, मुंहासे और वजन बढ़ना, को नियंत्रित करने के लिए संतुलित आहार और व्यायाम अत्यंत आवश्यक हैं।

मेडिकल ट्रीटमेंट – मेटफॉर्मिन, बर्थ कंट्रोल पिल्स

डॉक्टर PCOS के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए मेटफॉर्मिन और बर्थ कंट्रोल पिल्स जैसी दवाएँ सुझा सकते हैं। मेटफॉर्मिन का उपयोग इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने और वजन घटाने में सहायक हो सकता है। वहीं, बर्थ कंट्रोल पिल्स महावीर को नियमित करने और एंड्रोजन हार्मोन के प्रभाव को कम करने में सहायता करती हैं, जिससे अनियमित माहवारी और मुंहासे जैसी समस्याएँ नियंत्रित की जा सकती हैं। कुछ मामलों में, डॉक्टर अन्य हार्मोनल दवाइयाँ भी लिख सकते हैं, जो PCOS से गर्भधारण की संभावना को बेहतर बना सकती हैं।

आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार

PCOS के लिए कुछ आयुर्वेदिक इलाज और घरेलू उपाय प्रभावी हो सकते हैं। हल्दी, अश्वगंधा, दालचीनी और मेथी जैसे प्राकृतिक तत्व हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। दालचीनी को भोजन में शामिल करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस कम हो सकता है, जबकि मेथी पाचन सुधारने और वजन नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। योग और ध्यान का अभ्यास करने से तनाव कम होता है, जो PCOS के लक्षण कम करने में मदद करता है। सही आयुर्वेदिक इलाज और डाइट प्लान अपनाकर PCOS का प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।

PCOS और गर्भधारण – क्या यह प्रेग्नेंसी को प्रभावित करता है?

PCOS और गर्भधारण में कठिनाइयाँ

PCOS से प्रभावित महिलाओं को गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है क्योंकि यह ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाणु का नियमित रूप से विकसित न होना या ओव्यूलेशन न होना आम समस्याएँ हैं। इसके अलावा, इंसुलिन प्रतिरोध और मोटापा भी गर्भधारण की संभावना को कम कर सकते हैं। इसलिए, उचित इलाज और जीवनशैली में बदलाव से इस स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

प्राकृतिक गर्भधारण बनाम मेडिकल ट्रीटमेंट

प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने के लिए महिलाओं को स्वस्थ आहार (डाइट), नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है। यदि प्राकृतिक उपाय काम नहीं करते, तो डॉक्टर ओव्यूलेशन को बढ़ाने के लिए दवाइयाँ या हार्मोनल ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं। कुछ मामलों में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी उन्नत तकनीकों की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

PCOS से बचने के लिए क्या करें?

हेल्दी डाइट और पोषण

PCOS के प्रबंधन के लिए संतुलित डाइट अत्यंत आवश्यक है। लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला खाना, फाइबर युक्त डाइट और प्रोटीन से भरपूर भोजन से खून में शर्करा कि स्तर का संतुलित रहता है और हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है। परिष्कृत (रिफाइंड) कार्बोहाइड्रेट और अधिक शर्करा-युक्त खाने से बचना चाहिए।

योग और मेडिटेशन के फायदे

योग और ध्यान PCOS के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। योगासन जैसे कि सूर्य नमस्कार, भुजंगासन और बालासन शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। ध्यान और प्राणायाम तनाव को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे PCOS का प्रभाव कम किया जा सकता है।

तनाव प्रबंधन और अच्छी नींद

अत्यधिक तनाव PCOS के लक्षणों को बढ़ा सकता है। नियमित रूप से ध्यान, गहरी सांस लेने की तकनीक और पर्याप्त नींद लेने से तनाव कम किया जा सकता है। अच्छी नींद हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है, जिससे PCOS का प्रभाव कम किया जा सकता है।

यदि आपको PCOS का इलाज करवाना है तो देरी न करे। जैसे कि उपर्युक्त पंक्तियों से पता लगता है कि PCOS एक बेहत आम बीमारी है और भारत में अनगिनत महिलाओं को पीड़ित करती है। यदि PCOS की समस्या अधिक बढ़ जाए तो आपको गर्भावस्था के लिए IVF जैसे तकनीकों कि सहायता भी हो सकती है। NOVA IVF भारत कि सबसे प्रसिद्ध और शानदार प्रजनन अस्पतालों में से एक है। यदि आपको PCOS के कारण गर्भावस्था में संकट हो रहा हो तो NOVA IVF आपकी सहायता कर सकती है।

PCOS से जुड़े सवाल और उनके जवाब

PCOS का इलाज स्थायी रूप से संभव है?

PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली, उचित आहार और चिकित्सा सहायता से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

क्या पीसीओएस से इनफर्टिलिटी हो सकती है?

हाँ, PCOS के कारण ओव्यूलेशन में समस्या आ सकती है, जिससे गर्भधारण कठिन हो सकता है। हालाँकि, उचित इलाज से इस स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

PCOS के लिए सबसे अच्छा डाइट चार्ट क्या है?

PCOS के लिए उच्च फाइबर युक्त आहार, लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ और पर्याप्त प्रोटीन लेना फायदेमंद होता है। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।

क्या पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक इलाज फायदेमंद है?

आयुर्वेदिक उपचार जैसे अश्वगंधा, त्रिफला और मेथी PCOS के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं। हालाँकि, किसी भी उपचार को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

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