Pregnant woman showing her tummy

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पुरुष बांझपन

male infertility in hindi

पुरुष बांझपन

पिता न बन पाने को पुरुष बांझपन (मेल इनफर्टिलिटी) कहते हैं। बांझपन एक ऐसी समस्या है, जिसमें शादीशुदा जोड़े एक वर्ष या उससे अधिक समय के प्रयास के बाद भी बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते है । ज्यादातर पुरुषों में इनफर्टिलिटी यानि बांझपन का कारण शुक्राणुओं की कमी है। और वीर्य में स्पर्म काउंट कम होता है, तो इससे महिला को गर्भधारण करने में समस्या आती है। इसके अलावा और भी कई अन्य पुरुष बांझपन के कारण हो सकते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि दुनियाभर में पुरुष और महिलाएं जो बांझपन का शिकार हैं, वह 15 से 20 प्रतिशत हैं। जबकि केवल पुरुषों की बात करें तो यह आंकड़ा डरा देने वाला है। मेल इनफर्टिलिटी रेट 20 से 40 प्रतिशत तक है। जबकि भारत में पुरुष जो बांझपन का शिकार है, वह कुल 23 प्रतिशत हैं।

लौ स्पर्म काउंट

पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण शुक्राणु की ख़राब क्वालिटी और कम संख्या है। जब वीर्य में स्पर्म काउंट कम होता है तो यह महिला के अंडा को फर्टिलाइज नहीं कर पाता है। अधिक मात्रा में ड्रग्स और शराब लेने से भी fertility पर असर पड़ता है क्योंकि यह आपके स्पर्म क्वालिटी को काफी हद तक नीचे गिरा देता है।

तनाव

स्ट्रेस, Anxiety, डिप्रेशन से भी Fertility पर गहरा फर्क पड़ता है।

पर्यावरण

पर्यावरण में बढते प्रदूषण के कारण वातावरण में टॉक्सिन या जहरीले रसायन की मात्रा अधिक होती है। जो कि पुरुषों में बांझपन का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि विदेश में एक मेडिकल जर्नल में छपे शोघ से पता चलता है कि पिछले 60 सालों में पुरुषों में स्पर्म काउंट में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। वायु प्रदूषण के कारण सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य हानिकारक विषाक्त पदार्थ शुक्राणु की गुणवत्ता को खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं।

पैदाईशी समस्या

ऐसी समस्याएं जो पुरुषों में उनके जन्म के समय से मौजूद होती हैं। जैसे - वास-डेफेरेंस की जन्मजात से अनुपस्थिति होना (जो एक ट्यूब की अनुपस्थिति है जिसके द्वारा टेस्टिकल (अंडकोष) से शुक्राणु बाहर निकलते है)। ऐसी स्थिति में वीर्य के स्खलन होने में समस्या होती है।

एंडोक्राइन डिसऑर्डर्स - हमारी एंडोक्राइन सिस्टम में कई ग्रंथियां होती हैं जो शरीर में प्रमुख हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं। ये हार्मोन शरीर के विकास में मदद करते हैं। पिट्यूटरी, थायराइड या एड्रेनल जैसे प्रमुख हार्मोनों की खराबी से बांझपन की समस्या हो सकती है।

आनुवंशिक समस्याएं

क्रोमोजोम में किसी तरह का परिवर्तन वीर्य के उत्पादन या शुक्राणु के प्रवाह में रुकावट पैदा कर सकते हैं।

स्पर्म की स्पीड

शुक्राणुओं की कम गतिशीलता के कारण, वे अंडे तक पहुँचने और उसे निषेचित करने में विफल रहते है।

वेरिकोसिल

इस स्थिति में अंडकोष की नसें सूज जाती हैं। वैरिकोसेले से वीर्य उत्पादन या वीर्य की गुणवत्ता में कमी आती है।

इन्फेक्शन

इस स्थिति में अंडकोष की नसें सूज जाती हैं। वैरिकोसेले से वीर्य उत्पादन या वीर्य की गुणवत्ता में कमीपुरुषों के जननांगों में संक्रमण के कारण भी उन्हें बांझपन की समस्या हो सकती है। कुछ संक्रमण ऐसे होते हैं जो वीर्य के उत्पादन में समस्या उत्पन्न करते हैं। कुछ यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया, गोनोरिया, आदि) के साथ-साथ अन्य मूत्र पथ के संक्रमण से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है।

रेडिएशन

लेड (Lead), X-Ray, रेडिएशन आदि से स्पर्म के बनने में रुकावट आती हैं तथा अन्य स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या पैदा हो जाती हैं |

लिंग का अधिक गर्म होना

गर्म पानी से ज्यादा नहाने से, हॉट टब का रोज़ाना इस्तेमाल करने से तथा लैपटॉप गोद में रखकर काम करने से पुरुषो में स्पर्म की संख्या को प्रभावित करता है।

शराब एवं धुम्रपान

शराब एवं धुम्रपान के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाती है साथ ही शुक्राणु की संख्या भी कम हो सकती है। शराब एवं धुम्रपान के सेवन न करने वाले व्यक्तियों की तुलना में शराब एवं धुम्रपान के सेवन करने वाले व्यक्तियों के अंदर शुक्राणुओं की संख्या कम होती है।

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